मशरूम की खेती A-Z कम्पलीट जानकारी | Mushroom Ki Kheti Kaise Hoti Hai

mushroom ki kheti kaise hoti hai

यहाँ हम बात करेंगे कि मशरूम की खेती कैसे करें?

यहाँ आज आपको “Mushroom Ki Kheti Kaise Hoti Hai” इसकी पूरी कम्पलीट जानकारी देने जा रहें हैं।

यदि आप एक किसान हैं और अतिरिक्त आय (एक्स्ट्रा इनकम ) वाला एक नया साइड बिज़नेस /व्यापार शुरू करना चाहते हैं, तो आपके लिए मशरूम की खेती करना काफी शानदार हो सकता है। हालाँकि अच्छी पैदावार प्राप्त करने के लिए इसका काफ़ी ध्यान रखना होता है, लेकिन अगर आप  लगन से काम करते हैं और अच्छी तरह से इसकी देख -रेख करते हैं और मेहनत करते हैं तो फायदा भी काफी ज्यादा होता है। अभी हाल ही में उत्तर प्रदेश, पंजाब, हरियाणा और राजस्थान जैसे राज्यों में इसकी खेती की जा रही है। इतना ही नहीं हिमाचल प्रदेश, जम्मू-कश्मीर जैसी ठंड वाले राज्यों में भी मशरूम की खेती की जाने लगी है। अगर मशरूम की माँग की बात की जाये तो पूरे विश्व में खासकर एशिया एवं अफ्रीका के क्षेत्रों में इसकी मांग काफी अधिक देखने को मिलती है।

 

सबसे पहले जानें कि मशरूम क्या है?

मशरूम में कोई पौधा नहीं है बल्कि यह फंफूद है। इसमें अधिक मात्रा में प्रोटीन एवं पोषक तत्त्व मौजूद होते हैं जैसे कि विटामिन डी. और इसके आकार के बारे में कहा जाये तो लगभग एक छत्ते के आकार का होता है।

अब बात करते हैं मशरूम के प्रकारों की।

अंतराष्ट्रीय समूह के अनुसार इसकी लगभग 10000 से अधिक किस्मे हमारी धरती पर मौजूद हैं। लेकिन अगर इसे बिज़नेस के नजरिये से देखा जाये तो मशरूम की करीब 5 किस्मे ही अच्छी कही जाती हैं। जिनमे विशेष रूप से बटन मशरूम, पैडी स्ट्रॉ, स्पेशली मशरूम, औषधि वाली मशरूम, ढींगरी या ओएस्टर मशरूम शामिल हैं। इनमें से बटन मशरूम सबसे ज्यादा पसंद की जाने वाली मशरूम हैं। इसके अलावा ढींगरी मशरूम  जिसे कि ऑयस्टर मशरूम भी कहा जाता है, इसकी  भी खेती काफ़ी लाभदायक मानी जाती है। साथ में तीसरे नंबर पर मिल्की मशरूम की खेती भी अच्छा लाभ देती है इसकी भी काफी डिमांड है।

मशरूम की खेती एक ऐसी खेती है जो किसानों के जीवन स्तर को सुधार सकती है। मशरूम को एक कमरे में भी उगाया जा सकता है, मशरूम की खेती से किसान अपनी आय को कई गुना बढ़ा सकते हैं.पिछले कुछ वर्षों में हमारे देश में मशरूम की मांग तेजी से बढ़ी है, जिस हिसाब से बाजार में इसकी मांग है, उस हिसाब से अभी इसका उत्पादन नहीं हो रहा है। तो ऐसे में किसान मशरूम की खेती से अच्छा मुनाफा कमा सकते हैं।

विश्व में खाने योग्य मशरूम की लगभग बहुत सी प्रजातियाँ पाई जाती हैं जिनमें से कुछ ही प्रजातियाँ ही खेती के लिए उपयुक्त मानी जाती हैं। भारतीय जलवायु में मुख्य रूप से 3 से 5 प्रकार के खाने लायक मशरूम की खेती बड़े पैमाने पर की जाती है। जिनके नाम क्रमशः बटन मशरूम, पैडी स्ट्रॉ, स्पेशली मशरूम, दवाओं वाली मशरूम, धिंगरी या ओएस्टर मशरूम हैं इनमें बटन मशरूम सबसे ज्यादा पसंद की जाने वाली किस्म है।

मशरूम की खेती और इसके पैदावार के सीजन की अगर हम बात करें तो, सितंबर से नवंबर तक आप ढींगरी मशरूम की खेती कर सकते हैं। उसके बाद आप बटन मशरूम की खेती कर सकते हैं। यह फसल फरवरी-मार्च तक चलती है, इसके बाद  मिल्की मशरूम की खेती की जा सकती है, जो जून-जुलाई तक चलती है। इस तरह आप साल भर में मशरूम की खेती से लाखों रुपए की कमाई कर सकते हैं।

 

मशरूम की खेती करने की विधि –

मशरूम की खेती के लिए पुआल या भुसा तैयार करने की विधि इस प्रकार है –

मशरूम को भुसा, पुआल आदि पर आसानी से उगाया जा सकता है। एक बात का ध्यान रखें कि यह बारिश में भीगना नहीं चाहिए अन्यथा उपज प्रभावित हो सकती है। मशरूम उगाने के लिए गेहूं की पराली या धान की पराली को सबसे उपयुक्त माना जाता है। उपयोग से पहले भूसी या पुआल का उपचार करना आवश्यक है। पुआल या भूसा काटने के बाद आप उन्हें जूट या कपड़े की छोटी बोरियों में भरकर गरम पानी में कम से कम 12 से 16 घंटे के लिए भिगो दें ताकि पराली पानी को अच्छे से सोख ले।

इसके बाद ये पुआल या भूसा डालने से पहले फर्श को अच्छी तरह से धो लें या पॉलिथीन शीट बिछाकर 2 प्रतिशत फॉर्मेलिन घोल का छिड़काव करें, ताकि यह पूरी तरह से साफ हो जाय और आपको अच्छी पैदावार दे सके।

 

भारत में मुख्यतः तीन प्रकार के मशरूम की खेती की जाती है।

  1. बटन मशरूम
  2. ढिंगरी मशरूम या ऑयस्टर मशरुम
  3. दूधिया मशरूम जिसे कि मिल्की मशरूम भी कहा जाता है

 

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सफेद बटन मशरूम कैसे उगाएं

भारत में सफेद बटन मशरूम की खेती पहले कम तापमान वाले क्षेत्रों में की जाती थी, लेकिन आजकल नई तकनीकों को अपनाकर देश के विभिन्न क्षेत्रों में इसकी खेती की जा रही है। सफेद बटन मशरूम की खेती के लिए सरकार प्रोत्साहन दे रही है।

बटन मशरूम की फफूंद वृद्धि के लिए 22-26 डिग्री सेल्सियस तापमान की आवश्यकता होती है। इस तापमान पर, कवक जाल बहुत तेज़ी से फैलता है। बाद में 14-18 डिग्री सेल्सियस तापमान ही इसके लिए उपयुक्त होता है। इसे हवादार कमरे, शेड या कॉटेज / झोपड़ी टाइप कमरे में आसानी से उगाया जा सकता है। बटन मशरूम की खेती के लिए सबसे पहले खाद या कम्पोस्ट को तैयार करना आवश्यक होता है। क्यों कि मशरुम की खेती इसी विशेष प्रकार की खाद जिसे कम्पोस्ट कहते हैं, के द्वारा की जाती है।

मशरूम के बीज को स्पॉन कहा जाता है। बीज की गुणवत्ता का उत्पादन पर बहुत प्रभाव पड़ता है, इसलिए मशरूम के बीज या स्पॉन को विश्वसनीय स्रोत से प्राप्त करना चाहिए। बीज एक माह से अधिक पुराना नहीं होना चाहिए। कम्पोस्ट के वजन के 2-2.5 प्रतिशत के बराबर मात्रा में बीज लें। बॉक्सिंग खाद के ऊपर बीजों को बिखेर दें और 2 से 3 सेंटीमीटर मोटी खाद की एक और परत डालें। या पहले डिब्बे में कम्पोस्ट की 3 इंच की परत लगाएं और उस पर आधी मात्रा में बीज छिड़कें।

इसके बाद फिर से इसके ऊपर कम्पोस्ट की 3 इंच मोटी परत बिछा दें और बचे हुए बीजों को इसके ऊपर बिखेर दें। उस पर कम्पोस्ट की एक पतली परत बिछा दें।बुआई के बाद बॉक्स या बैग को मशरूम के कमरे में रख दें और उन्हें पुराने अखबारों से ढक दें और पानी से भिगो दें। कमरे में पर्याप्त नमी पैदा करने के लिए चूल्हा और कमरे की दीवारों पर पानी का छिड़काव करें। इस समय, कमरे का तापमान 22 से 26 डिग्री सेल्सियस और आर्द्रता 80 से 85 प्रतिशत के बीच होनी चाहिए।अगले 15 से 20 दिनों में खाद में कवक का मोल्ड नेटवर्क पूरी तरह से विकसित हो जाएगा। इन दिनों मशरूम को ताजी हवा की जरूरत नहीं होती है, इसलिए कमरे को बंद ही रखें।

 

ढींगरी मशरूम  जिसे कि ऑयस्टर मशरूम भी कहा जाता है – इसकी  खेती की पूरी जानकारी  प्रकार है:-

ऑयस्टर मशरूम की खेती पारंपरिक खेती की तुलना में थोड़ी आसान और सस्ती है। इसमें अन्य मशरूम की तुलना में अधिक औषधीय गुण भी ज्यादा होते हैं। दिल्ली, कलकत्ता, मुंबई जैसे बड़े शहरों में इसकी डिमांड बढ़ रही है। यही वजह है कि पिछले कुछ सालों में इसका ढींगरी मशरूम का उत्पादन 8-9 गुना बढ़ गया है। ढींगरी या ऑयस्टर मशरूम की खेती महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश, पश्चिम बंगाल, केरल, राजस्थान और गुजरात जैसे राज्यों में भी लोकप्रिय हो रही है।

अनुकूल वातावरण में ढींगरी मशरूम 20 से 25 दिन में तैयार हो जाती है। ढींगरी या ऑयस्टर मशरूम के उत्पादन के लिए एक- डेढ़  सें.मी. लंबा, अन्य फसल अवशेषों से मुक्त और सुखा ताजा गेहूं के भूसे का उपयोग किया जाता है। यह बारिश से भींगा या गीला नहीं होना चाहिए बल्कि सूखा हो। पहले स्ट्रा को एक विशेष विधि से तैयार किया जाता है। ढींगरी या ऑयस्टर मशरूम उगाने के लिए स्ट्रॉ तैयार करने के बाद ढींगरी मशरूम के बीज (स्पान), इस तैयार स्ट्रा में 2-3 प्रतिशत की दर से मिलाए जाते हैं। यानी 90-100 किलो गीले भूसे में 2-3 किलो बीज मिलाए जाते हैं। कितना बीज मिलाना है यह तापमान पर निर्भर करता है। तापमान कम होने पर बीज दर कम (2%) रखी जाती है और तापमान अधिक होने पर बीज दर उच्च (3%) रखी जाती है।

बीज को तैयार भूसे में मिलाने के लिए पहले बीज (स्पॉन) और भूसे दोनों को अच्छी तरह भूसे में मिला दिया जाता है। इस बीज और पुआल के मिश्रण को प्लास्टिक की थैलियों में इकट्ठा किया जाता है जो आकार में 50-60 सेंटीमीटर होती हैं और दोनों निचले कोनों को काटकर भर दिया जाता है।

======> इस बात का ख्याल रखें कि ऊपर और नीचे पुआल की एक ही परत हो। इस तरह तैयार बैग को शेल्फ पर रखा जाता है ताकि बीज जल्दी अंकुरित हो सकें।

यदि अंकुरण के समय कमरे, शेड (उत्पादन कक्ष) का तापमान 20 से 26 डिग्री सेल्सियस के बीच हो और आर्द्रता 70-80 प्रतिशत हो तो बीज जल्दी अंकुरित होता है, इस समय बीज की थैलियों को सिंचाई की आवश्यकता नहीं होती है। बीज 15 दिनों में अंकुरित हो जाता है और उपयुक्त तापमान और आर्द्रता पर पुआल में अच्छी तरह फैल जाता है।

 

Mushroom Ki Kheti Kaise Hoti Hai के सम्बन्ध में अब हम बात करेंगे कि मिल्की मशरूम या दूधिया मशरूम कैसे उगाएं ?

मिल्की मशरूम या दूधिया मशरूम की बुवाई के लिए तैयार भूसे के प्रति किलो 40 से 50 ग्राम बीज की आवश्यकता होती है। सबसे पहले तो स्ट्रा को जो कि पहले से उपचारित किया हुए पुआल (स्ट्रा ) को 16 सेंटी मीटर चौड़े और 20 सेंटी मीटर ऊंचे पॉलीथिन बैग में डालें। बीज बोने के बाद उपचारित पुआल से ढक दें। पॉलीथिन बैग में मिल्की मशरूम या दूधिया मशरूम की दो या तीन परतें लगाई जा सकती हैं।

इस प्रक्रिया को पूरा करने के बाद पॉलीथिन बैग को बांधकर किसी अंधेरे कमरे में रख दें। ध्यान रखें कि 2 से 3 सप्ताह तक तापमान 28-35 डिग्री होना चाहिए और 80-90 प्रतिशत आर्द्रता बनाए रखना चाहिए।कुछ दिन बाद आप पाएंगे कि आपका बैग फफूंदी वाले जाले से भर जाएगा। इसके बाद आप इसके ऊपर केसिंग लगाएं। ऊपरी आवरण यानि केसिंग लगाने के लिए पुरानी गाय का गोबर सबसे उपयुक्त माना जाता है। केसिंग/आवरण प्रक्रिया के बाद रख-रखाव आवश्यक हो जाता है।इसलिए रख रखाव का पूरा ध्यान रखें और नमी को मेन्टेन रखें। इसमें नमी बनाए रखने के लिए आप बीच-बीच में पानी का छिड़काव भी कर सकते हैं।

 

अब मुख्य प्रश्न है कि,

मशरूम कहां एवं किस तरीके से बेचें ?

देखिये, मशरूम की डिमांड कई जगहों पर है। इसे इसे बेचने के लिए शहर के होटलों से सम्पर्क किया जा सकता है और दवा कंपनियां भी इन्हें खरीदने को तैयार हैं। इसके अलावा ज्यादातर चाइनीज खाने में भी मशरूम का इस्तेमाल होता है। इसके अन्य लाभकारी गुणों के कारण ही, इसका उपयोग चिकित्सा के क्षेत्र में भी किया जा रहा है। इतना ही नहीं, मशरूम का कई देशों में निर्यात भी किया जाता है,  प्रकार हम देखते है कि मशरूम को बेचने के लिए कई क्षेत्र मौजूद हैं, जहाँ इसकी बिक्री हो सकती है।

 

मशरूम बेचने के लिए आप कुछ लोकप्रिय तरीकों का इस्तेमाल कर सकते हैं। यहां नीचे कुछ ऑप्शन/ विकल्प दिए गए हैं, जो कि आपको मशरुम की बिक्री करने में सहायक सिद्ध होंगे –

किराना स्टोर-
अपने स्थानीय किराना स्टोर या सब्जी मंडी /बाजारों से संपर्क करें और अपने मशरूम की बिक्री के लिए उनसे संपर्क करें। अक्सर लोग मशरूम यहीं से खरीदते हैं।

रेस्टोरेंट और होटल-
आपको रेस्टोरेंट, होटल और कैटरर्स को भी अपने मशरूम की बिक्री के लिए संपर्क करना चाहिए। कुछ बढ़िया रेस्टोरेंट गुणवत्ता वाले मशरूम की मांग करते हैं, तो आप इनसे संपर्क अवश्य करें।

किसान हट /बाजार-
किसान हट/ बाजारों में अपने मशरूम सीधे उपभोक्ताओं को बेचने का विकल्प होता है। यहां आप अपने उत्पादों का प्रदर्शन कर सकते हैं और स्थानीय लोगो को अपनी मशरुम बेच सकते हैं।

ऑनलाइन प्लेटफ़ॉर्म-
आप कुछ ऑनलाइन बिक्री प्लेटफ़ॉर्म का भी उपयोग कर सकते हैं। अमेजॉन, फ्लिपकार्ट आदि या अन्य किसी ऑनलाइन स्टोर के साथ जुड़कर आप मशरूम को ऑनलाइन बेच सकते हैं।

सुपरमार्केट और मॉल/ हाइपरमार्केट-
बड़े सुपरमार्केट चेन या मॉल /हाइपरमार्केट आदि से भी संपर्क करें और उन्हें अपने उत्पाद के बारे में डिटेल में बताएं और अपने मशरूम के लिए सैंपल दें।

कम्युनिटी सपोर्टेड एग्रीकल्चर (CSA) कार्यक्रम-:
आप अपने उत्पाद/ मशरूम के रेगुलर/नियमित/ पक्के ग्राहक पाने के लिए आप कम्युनिटी सपोर्टेड एग्रीकल्चर (CSA) कार्यक्रम का सहारा भी ले सकते हैं। CSA कार्यक्रम, स्थानीय किसानों और उपभोक्ताओं को सीधे जोड़ते हैं। आप ऐसे कार्यक्रमों में शामिल हो सकते हैं और अपने मशरूम को स्थानीय लोकैलिटी में प्रचार कर सकते हैं।

स्थानीय खानपान सेवाएं-
अपने मशरूम को बेचने के लिए शादी पार्टियों या किसी विशेष अवसर के लिए खानपान सेवाएं प्रदान करने वाली एजेंसी जैसे कि केटरर्स, वेडिंग प्लानर आदि से भी संपर्क जरूर करें।

इसके अलावा, आप आपके क्षेत्र में मांग और बाजार की स्थितियों के अनुसार, मशरूम बेच सकते हैं इनमें से आप किसी एक या अधिक विकल्पों को चुन सकते हैं और उसके अनुसार अपना बिक्री कार्य कर सकते हैं। इसके अलावा, आप अपने उत्पादों को बढ़ावा देने के लिए सोशल मीडिया का भी उपयोग कर सकते हैं।

इस प्रकार आप अपने मशरुम को ज्यादा से ज्यादा बेचकर अच्छा मुनाफा प्राप्त कर सकते है। अगर आप मशरुम या किसी और प्रोडक्ट की बिक्री के लिए कोई सहायता व गाइडेंस चाहते हैं तो आप यहाँ क्लिक/ संपर्क कर सकते हैं। हमें बिज़नेस चलाने , बिक्री बढ़ाने का काफी वर्षो का अनुभव है। हम आपकी हर तरह से जरूर हेल्प करेंगे। हमें आपकी हेल्प करने तथा गाइडेंस प्रदान करने में अति प्रसन्नता होगी।

 

अब हम बात करेंगे कि
मशरूम की खेती में निवेश / लागत कितनी आती है ?

तो मशरूम की खेती में लागत इस बात पर निर्भर करती है कि आप इस व्यवसाय को कितना बड़ा शुरू करना चाहते हैं। इसकी लागत आपके स्तर पर निर्भर करती है। मशरूम की खेती में, सबसे पहले आपको, उसे उगाने के लिए जगह बनानी होती है। इसके लिए आपको  पैसा लगाना होता है, उसके बाद सिर्फ उसकी देखभाल करनी पड़ती है। इसके अलावा कीटनाशकों के प्रयोग पर भी खर्चा आएगा। अगर आप छोटे स्तर पर मशरूम की खेती शुरू करते हैं तो आप 30,000 – 50,000 रुपए तक का निवेश कर सकते हैं। साथ ही बड़े पैमाने पर आप 1 लाख से लेकर 10 लाख रुपए तक कहीं भी निवेश कर सकते हैं।

 

मशरूम की खेती में कितना मुनाफा होता है ?

मशरूम की खेती में मुनाफे की बात करें, तो यह कारोबार पूरी दुनिया में हर साल 12-13 फीसदी की दर से बढ़ रहा है। हमारे देश भारत में  भी इसका अच्छा स्कोप है। इसका मतलब है कि आप कम समय में इस बिजनेस में अच्छा मुकाम हासिल कर सकते हैं। अगर आप 100-200 वर्ग मीटर में बिजनेस शुरू करते हैं तो आपको हर साल करीब 1 लाख से 3 लाख रुपए तक का मुनाफा हो सकता है। हालांकि यह आपकी उत्पादन क्षमता पर डिपेंड करता है।

 

अब जानिए, कुछ और महत्वपूर्ण सवालो के जबाब। तो इसमें सबसे पहला प्रश्न है कि,

 

मशरूम कितने दिन में तैयार होता है?

मशरूम की बहुत सारी प्रजाति होती है सामान्य तौर पर मशरूम अढ़ाई से तीन महीने में तैयार हो जाता है।

 

कौन सा मशरूम बिजनेस के लिए अच्छा है?

साधारण तौर पर, ऑयस्टर मशरूम की खेती बिजनेस के लिए सबसे अच्छी कही जा सकती है।  कारण यह है कि ऑयस्टर मशरूम की खेती  नौसिखिया/ नए उत्पादकों के लिए सबसे अच्छे प्रकार की मानी जाती है, इसे उगाना आसान है और यह मशरुम जल्दी बढ़ते हैं और अच्छी पैदावार देती है। इसकी उत्पादन लगत भी सस्ती है। इसके अलावा ऑयस्टर मशरूम की माँग भी बहुत है।

 

मशरूम की खेती कौन से महीने में की जाती है?

आमतौर पर, मशरूम की खेती नवंबर से मार्च महीने तक की जाती है। कयोंकि इसके लिए कम तापमान की आवशकता होती है इसलिए मशरूम की खेती शर्दी के महीनो में की जाती है। लेकिन कुछ मशरुम की किस्मे थोड़े गर्म मौसम में भी उगाई जा सकती है।

 

मशरूम कितने रुपए किलो बिकता है?

मशरूम की अलग-अलग प्रजाति की अलग-अलग कीमत होती है।  कुछ मशरूम 10-12 हजार रुपए किलो बिकता, जिन तीन मशरूम प्रजातियों की खेती भारत में होती है वह मंडी में लगभग लगभग 150  से ₹ 250 प्रति किलो बिक सकती हैं और होटलों में तकरीबन 300 से ₹ 400 प्रति किलो तक बिक जाती हैं।

 

मशरूम के बीज कहाँ से मिलेंगे ?

मशरूम बीज आपको ऑफलाइन और ऑनलाइन दोनों तरह से मिल सकते हैं। आप मशरूम के बीज को ऑनलाइन इंडिया मार्ट पर या अमेजॉन पर जाकर सीधे ऑनलाइन मंगा सकते हैं। इसके अलावा अगर हम बात करें ऑफलाइन की तो फिर सीधे सरकारी कृषि केंद्रों की मदद से भी प्राप्त कर सकते हैं।  भारत में अलग अलग राज्यों में सरकारी कृषि केंद्रों पर जाकर सीधे मशरूम का बीज प्राप्त कर सकते हैं।

 

मशरूम बीज की कीमत  (Mushroom Seeds Price)

मशरूम के बीज की कीमत लगभग 100 -150  रुपए प्रति किलोग्राम होती है, जो कि ब्रांड और किस्म के अनुसार अलग अलग होती है। इसलिए आपको पहले यह तय करना होगा, कि आप किस किस्म की मशरूम को उगाना चाहते है। साथ में आपको सलाह दी जाती है कि इसकी कीमत अपने आस पास के बाजार/ मंडी या इंटरनेट पर / ऑनलाइन चेक जरूर कर लें।

 

मशरूम की खेती में कितना लाभ हो सकता है?

मशरूम की खेती में आपका लागत से तकरीबन 7 से 8 गुना तक का लाभ या फायदा हो सकता है। बशर्ते की यह मशरूम की किस्म एवं उसके पैदावार पर डिपेंड करता है।

 

मशरूम की खेती में सरकार द्वारा मदद (Government Subsidies for Mushroom Cultivation)

इस समय देश के अलग अलग राज्यों में मशरूम उगाने का प्रशिक्षण दिया जा रहा है। इतना ही नहीं मशरूम की खेती के लिए सरकार द्वारा ऋण देने की योजनाएं भी बनाई गयी है। https://www.nabard.org वेबसाइट पर आप इस योजना का बारे में और जानकारी देख सकते हैं।  आपको एक व्यावसायिक प्रस्ताव (बिज़नेस प्रपोजल) बनाकर सरकारी कार्यालय में जाना होगा। इसके अलावा आपको

पैन कार्ड,
आधार कार्ड,
निवासी प्रमाण पत्र और
बैंक अकाउंट डिटेल

वहां देनी पड़ेगी।  ऐसा करने से आपको सरकार द्वारा सब्सिडी दी जाएगी।

अगर आप छोटे किसान हैं तो हर एक मशरूम के थैले पर 40% तक एवं सामान्य व्यक्ति के लिए 20% तक सब्सिडी दी जाती है। लेकिन अगर आपको सब्सिडी नहीं चाहिए तो आपको इसका रजिस्ट्रेशन या पंजीकरण करवाने की जरुरत नहीं है।

 

सरकार द्वारा मशरूम की खेती करने के लिए प्रशिक्षण (Mushroom cultivation government training)

सर्कार दवारा छोटे किसान भाइयों को मशरूम की खेती करने का लिए सब्सिडी  देकर उनकी  मदद की जा रही है। सब्सिडी के अलावा सरकार द्वारा मुफ्त प्रशिक्षण (Free  ट्रेनिंग) की सुविधा भी दी जा जाती है।  जिसके लिए सरकार ने कई प्रशिक्षण केंद्र खोले हुए है। जहां कि आपको मशरूम उगाने की सभी तकनीकों के बारे में ट्रेनिंग दी जाती है।

मशरूम की खेती के लिए सरकारी प्रशिक्षण केंद्र भारत सरकार या कृषि विभाग की कुछ विकास एजेंसियों द्वारा चलाए जाते हैं। यदि आप मशरूम की खेती में रुचि रखते हैं तो आप स्थानीय कृषि विभाग या किसान कल्याण विभाग से संपर्क कर सकते हैं। यह विभाग आपको मशरूम की खेती के लिए सरकारी प्रशिक्षण केंद्रों के बारे में जानकारी प्रदान करता है।

इसके अतिरिक्त, आप अपने राज्य /क्षेत्र में उपलब्ध सरकारी प्रशिक्षण केंद्रों के बारे में जानकारी प्राप्त करने के लिए ऑनलाइन भी सर्च कर सकते हैं। ऐसे प्रशिक्षण कार्यक्रमों की जानकारी अक्सर कृषि विभाग की वेबसाइटों या स्थानीय कृषि कार्यालयों में मिल जाती है। इसके साथ ही साथ, कुछ गैर-सरकारी संगठन (एनजीओ) भी ऐसे प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित करते हैं। आप स्थानीय कृषि डेवलपमेंट कार्यालयों से भी संपर्क कर सकते हैं जो आपको सही मार्गदर्शन और जानकारी प्रदान करते हैं।

आजकल मशरूम की खेती एक लाभदायक व्यवसाय है और आने वाले समय में भी न सिर्फ इंडिया में बल्कि विदेशो में इसकी काफी डिमांड होगी। इसमें सरकारी प्रशिक्षण कार्यक्रम इसमें आपकी काफी मदद कर रहें हैं तो इनसे आप संपर्क अवश्य करें। आपकी सहायता के लिए यहाँ नीचे हम कुछ ट्रेनिंग सेंटर की लिस्ट दे रहें है –

 

Mushroom Ki Kheti Kaise Hoti Hai का निष्कर्ष –

मशरूम की खेती एक अच्छा लाभदायक साइड बिज़नेस या सहायक धंधा  है जो किसानों के लिए एक नई दिशा बदल सकता है। मशरूम की खेती में सफलता हासिल करने के लिए किसानों को नए तकनीकी उपायों का उपयोग करना चाहिए।

किसान भाइयो को इस सहायक बिज़नेस का एक बड़ा लाभ यह है कि मशरूम की खेती छोटे किसानों के लिए एक बढ़िया विकल्प है, जिससे वे अधिक आय प्राप्त कर सकते हैं और अपने जीवन में आगे बढ़ सकते हैं।

सरकार और अन्य संगठनों द्वारा इस प्रक्रिया में मशरूम की खेती को समृद्ध बनाने के लिए किसानों को प्रशिक्षित किया रहा है  और समर्थन भी दिया जा रहा है।

इसके अलावा, जब किसान अपने मशरूम सीधे बाजारों, निर्माताओं या रेस्तरां को बेचते हैं तो उनके पास अधिक मूल्य/ लाभ पाने की संभावना होती है।

अंत में हम यह कह सकते हैं कि मशरूम की खेती न केवल किसानों के लिए आय का एक सहज स्रोत प्रदान कर सकती है बल्कि अन्य वर्गों के लोगो को तथा उनके परिवारों को रोजगार के नए अवसर भी प्रदान करती है। इससे हमारी कृषि व्यवस्था को भी नई दिशा मिल रही है जिससे कि हमारे देश की आर्थिक समृद्धि हो रही है। इस प्रकार मशरूम की खेती सभी के लिए एक लाभदायक बिज़नेस या धंधा साबित हो रहा है।

 

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या    आपको इस तरह की कोई बिज़नेस से समन्धित दिक्कत /परेशानी या इश्यूज है।

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आपका सच्चा दोस्त एवं बिज़नेस फ्रेंड,

— डॉ. एच. भगरिया [बिज़नेस का डॉक्टर ]

harry_bhagriaमैं डॉ. एच. भगरिया (Dr. H. Bhagria) एक एंटरप्रेनर (Entrepreneur), बिज़नेसमैन, बिज़नेस कोच (Business Coach) / बिज़नेस कंसलटेंट ( Business Consultant), लेखक (an author) और फाइनेंस एडवाइजर (Finance Advisor) हूँ। मेरा मकसद उन लोगों की हेल्प करना है जो लोग बिज़नस करना चाहते हैं। ऐसे लोग जो अपना खुद का बिज़नेस स्टार्ट कर के जीवन में आगे बढ़ना चाहते हैं एवं फाइनेंसियल फ्रीडम पाना चाहते हैं लेकिन सही फैसला (decision) लेने से डरते हैँ। सही मार्गदर्शन एवं हेल्प के लिए यहाँ संपर्क/ क्लिक करें ..डिटेल में जाने/क्लिक करें ...

 

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