गांव का बिजनेस | Aloe Vera Ki Kheti Kaise Karen | एलोवेरा की खेती कैसे करें?

Aloe Vera ki kheti kaise karen

हेलो फ्रेंड्स,

आज हम बात करेंगे गांव का बिजनेस | aloe vera ki kheti kaise karen ( एलोवेरा की खेती कैसे करें)।

देखिए, एलोवेरा के बाजार में बहुत मांग है और इस मांग को देखते हुए एलोवेरा की खेती मुनाफे का सौदा साबित हो रही है। आजकल हर्बल दवाओं और कॉस्मेटिक में तो इसकी डिमांड काफी बढ़ गई है क्योंकि एलोवेरा का उपयोग ज्यादातर हर्बल और कॉस्मेटिक प्रोडक्ट में एलोवेरा का ज्यादातर प्रयोग हो रहा है।

सौंदर्य प्रसाधन के सामान में  यानी कि कॉस्मेटिक सामान में भी  इसका बहुत ही उपयोग  देखने को मिल रहा है। आज कॉस्मेटिक के प्रोडक्ट्स में एलोवेरा बहुत ही उपयोग में है। जैसे कि एलोवेरा फेस वॉश, एलोवेरा क्रीम आदि प्रोडक्ट बाजार में भरे पड़े हैं।

गांव का बिजनेस | aloe vera ki kheti kaise karen ( एलोवेरा की खेती कैसे करें) में, इसके अलावा अगर हम बात करें हर्बल दवाओं की, तो भी इसका उपयोग काफी मात्रा में हो रहा है जैसे की एलोवेरा जूस आदि। तो इस प्रकार हम कह सकते हैं, एलोवेरा की बाजार में बहुत मांग है और इस मांग को देखते हुए एलोवेरा की खेती मुनाफे का सौदा साबित हो रही है आजकल हर्बल और कॉस्मेटिक में तो काफी बढ़ गई है क्योंकि एलोवेरा का उपयोग मेडिसिन और दवाइयों में हो रहा है. तो इस प्रकार हम कह सकते हैं कि एलोवेरा की खेती बहुत ही लाभदायक खेती है और इससे आप बहुत अच्छी आमदनी प्राप्त कर सकते हैं।

 

तो अब बात करते हैं कि एलोवेरा क्या है ?

एलोवेरा को उद्धृत कुमारी या क्वारगंदल या ग्वारपाठा के नाम से भी जाना जाता है। इसमें औषधि गुण काफी होते हैं। एलोवेरा के पौधे की लंबाई लगभग 60 से लेकर 100 सेंटीमीटर तक होती है। यह एक बहुत ही छोटे तने वाला पौधा होता है। एलोवेरा के पौधे की पत्तियां मोटी और मांसल होती है,जो कि हरे रंग की होती है। इसके पीछे कुछ सफेद धब्बे भी होते हैं। एलोवेरा की पत्तियों पर गर्मी के मौसम में पीले रंग के फूल भी उत्पन्न होते हैं।

 

अब आगे बात करते हैं, गांव का बिजनेस | aloe vera ki kheti kaise karen ( एलोवेरा की खेती कैसे करें) में, एलोवेरा के उपयोग की –

तो अगर हम एलोवेरा के उपयोग की बात करें तो त्वचा को युवा रखने वाली क्रीम के रूप में प्रयोग किया जाता है। एलोवेरा से निर्मित क्रीम त्वचा रोग को दूर करती है। इसके अलावा इसका उपयोग हर्बल दवा में भी होता है एलोवेरा मधुमेह के यानी कि डायबिटीज के इलाज में भी काफी उपयोगी साबित हो रही है। इसके उपयोग से मनुष्य के रक्त में यानी कि ब्लड में लिपिड का स्तर भी काफी काफी घट जाता है। ऐसा माना जाता है कि यह सकारात्मक प्रभाव में मौजूद लिक्टिन जैसे यौगिकों के कारण होता है।

एलोवेरा कितने प्रकार का होता है ?

वैज्ञानिको के काफ़ी वर्षों के शोध के बाद यह पता चला कि एलोवेरा 300 प्रकार के होते हैं। इसमें से तक़रीबन 284 किस्म के एलो वेरा में 0 से लेकर 15 प्रतिशत तक ही औषधीय गुण होते हैं। इसके अलावा ग्यारह प्रकार के पौधे ऐसे होते जो जहरीले होते हैं। अब बाकी बचे 5 एलोवेरा के  पौधों में से एक विशेष प्रकार पौधा है –

“एलो बारबाडेन्सिस मिलर” नामक पौधा है।

इस पौधे में 100 प्रतिशत औषधि व दवाई दोनों के गुण पाए गए हैं।

इसके बाद एलोवेरा की  मुसब्बर (Arborescens) प्रजाति भी  है जिसमें लाभकारी औषधीय और उपचार के गुण मौजूद होते हैं और इसका उपयोग विशेष रूप से जलन को शांत करने के लिए किया जाता है।

इसके बाद इसकी एक ओर प्रजाति जिसे मुसब्बर या असली चिता या मुसब्बर मैकुलता के रूप में भी जाना जाता है। इसका प्रयोग सभी प्रकार की त्वचा की स्थिति के इलाज के लिए एवं सौंदर्य प्रसाधनों में सबसे अधिक इस्तेमाल किया जाता है।

एलोवेरा की खेती के लिए जलवायु एवं भूमि –

तो गांव का बिजनेस | aloe vera ki kheti kaise karen ( एलोवेरा की खेती कैसे करें) में, हम आपको बताना चाहेंगे कि जो बंजर भूमि है ,जिस भूमि में आप कोई भी फसल नहीं लगा सकते हैं। कृषि की कोई भी फसल जैसे कि धान या अन्य कोई फसल नहीं बुआ सकते। तो ऐसी भूमि में आप एलोवेरा की खेती कर सकते हैं और एलोवेरा की खेती करके आप बहुत अच्छी आमदनी उससे प्राप्त कर सकते हैं। तो भाइयों, एलोवेरा की खेती यह बहुत ही अच्छी फसल है जो बंजर जमीन में भी आपको लाभ दे रही है। तो हम आपको बताना चाहेंगे कि एलोवेरा की खेती कैसे करें ?

भाइयों, एलोवेरा की खेती सुस्क/ सूखे क्षेत्रों से लेकर सिंचित मैदानी भागों में की जा सकती है। आज के समय में इसकी खेती देश के सभी भागों में की जा रही है। इसकी सबसे बड़ी खासियत यह है कि इसकी खेती बहुत ही कम पानी और रेगिस्तानी या शुष्क/ सूखे क्षेत्रों में आसानी से कर सकते हैं।

गांव का बिजनेस | aloe vera ki kheti kaise karen ( एलोवेरा की खेती कैसे करें) में, अब बात करते हैं कि एलोवेरा की खेती में जलवायु एवं भूमि कैसी होनी चाहिए?

तो एलोवेरा की खेती के लिए उष्ण जलवायु अच्छी रहती है। इसकी खेती आमतौर पर न्यूनतम वर्षा वाले क्षेत्र जैसे कि जहां कम वर्षा होती है, गर्म और आद्र क्षेत्रो में की जा सकती है। यह पौधा ज्यादा ठंड वाले क्षेत्र में उगाया नहीं जा सकता क्योंकि ठंड के प्रति यह बहुत ही संवेदनशील होता है।

एलोवेरा की खेती के लिए भूमि / मिटटी –

अब बात करते हैं मिट्टी की, तो एलोवेरा की खेती रेतीले से लेकर दोमट मिट्टी तक विभिन्न प्रकार की मिट्टी में की जा सकती है। इसके अलावा अच्छी काली मिट्टी में भी इसकी खेती हो सकती है। भूमि या खेत का चुनाव करते समय यह ध्यान रखना चाहिए कि एलोवेरा की  खेती के लिए भूमि ऐसी होनी चाहिए जो जमीनी स्तर थोड़ी ऊंचाई पर हो तथा साथ में खेत में जल निकासी की समुचित, अच्छी व्यवस्था होनी चाहिए। क्योंकि एलोवेरा की खेती में पानी नहीं भरना चाहिए। इसके अलावा इसी मिट्टी का पीएच मान तकरीबन 8.50 होना चाहिए।

भारत में एलोवेरा की उन्नत किस्में जैसे –

तो आप एलोवेरा की

IC-111271,  IC-111280,  IC-111 269, IC-11273,

सिम शीतल L /SHEETAL,  L 1,2,3 किस्मे

लगाकर व्यवसायिक तौर पर उत्पादन ले सकते हैं।

 

एलोवेरा की खेती के लिए जमीन को बहुत अच्छे से तैयार करना होता है। खेती भूमि की उसकी गहरी जुताई करनी चाहिए। गहरी जुताई करेंगे उसके बाद में देखना है कि कहीं ऐसी जगह तो नहीं है जहाँ जलभराव की समस्या हो?

अगर कोई ऐसी जगह कोई  जलभराव वाली जगह हैं तो उसको समतल करना है और समतल करने के बाद में फिर उसको अच्छे से एक दो बार और कल्टीवेटर से जुताई करें। जुताई करने के बाद में फिर उसमें एक एकड़ की बात करें, तो 10 टन गोबर की सड़ी हुई अच्छी खाद उसमें पर्याप्त मात्रा में मिलाएं। और सड़ी हुई खाद मिलाने के बाद में फिर एक जुताई करनी है। इससे ये होगा कि जो खाद आपने डाली थी वह पूरे खेत में मिल जाएगी।

खाद एवं रासायनिक उर्वरक

एलोवेरा फसल को रासायनिक उर्वरकों की आवश्यकता कम होती है। इसलिए आप यूरिया 110 किलोग्राम सिंगल सुपर फास्फेट 155 किलोग्राम और म्यूरेट आफ पोटाश 42 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर की दर से खेती की तैयारी के समय डालकर मिला देना चाहिए।

 

एलोवेरा की बुवाई का उचित समय क्या है ?

गांव का बिजनेस | aloe vera ki kheti kaise karen ( एलोवेरा की खेती कैसे करें) के अंतर्गत,

एलोवेरा कब लगाएं?

एलोवेरा के पौधे के अच्छे विकास के लिए इसे जुलाई-अगस्त में लगाना उचित रहता है। वैसे इसकी खेती सर्दियों के महीनों को छोडक़र पूरे वर्ष की जा सकती है।

इसकी बुवाई का उपयुक्त समय जुलाई-अगस्त है लेकिन जिन किसानों के पास सिंचाई की सुविधा है वह इसकी खेती साल भर कर सकते हैं।

एलोवेरा लगाने की रोपण विधि

एलोवेरा लगाने के लिए खेत में गड्ढे बनाकर एक मीटर में दो लाइन बनानी चाहिए और फिर एक मीटर जगह छोड़कर दो लाइन करनी चाहिए। ऐसा करना इसलिए जरूरी है ताकि एलोवेरा का पौधा लगाने के बाद निराई-गुड़ाई आसानी से की जा सके। जब पौधा पुराना हो जाता है तो उसके किनारों से नए पौधे आने लगते हैं, जिन्हें मिट्टी में अच्छी तरह दबा देना चाहिए।बारिश के मौसम में पुराने पौधे से नए पौधे निकलने लगते हैं, जिन्हें हटाकर लगाना चाहिए।

बीज की मात्रा कितनी लगेगी ?

गांव का बिजनेस | aloe vera ki kheti kaise karen ( एलोवेरा की खेती कैसे करें) के अंतर्गत, हम आपको बताना चाहेंगे कि एलोवेरा की बिजाई 6-8′ के पौध द्वारा किया जाना चाहिए। इसकी बिजाई 3-4 महीने पुराने चार-पांच पत्तों वाले कंदो के द्वारा की जाती है। एलोवेरा की खेती में एक एकड़ भूमि के लिए तकरीबन 5000 से 10000 कदों/सकर्स की जरूरत होती है। पौध की संख्या की अगर हम बात करें तो यह भूमि की उर्वरता तथा पौध से पौध की दूरी एवं कतार से कतार की दूरी पर भी  निर्भर करता है।

 

अब बात करेंगे कि एलोवेरा का बीज कहाँ से मिलेगा ?

गांव का बिजनेस | aloe vera ki kheti kaise karen ( एलोवेरा की खेती कैसे करें) में, एलोवेरा के बीज प्राप्ति स्थानों की अगर हम करें तो, यह एलोईन तथा जेल उत्पादन की दृष्टि से –

नेशनल ब्यूरो ऑफ प्लान्ट जेनेटिक सोर्सेस द्वारा एलोवेरा की कई किस्में विकसित की गई है।

इसके अलावा सीमैप, लखनऊ ने भी,

उन्नत प्रजाति (अंकचा/ए.एल.-1) विकसित की है।

 

आप यहाँ सम्पर्क कर सकते  हैं:-

निदेशक- सीआईएमएपी
सेंट्रल इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिसिनल एंड एरोमैटिक प्लांट्स
CIMAP पिकनिक स्पॉट रोड, कुकरैल के पास,
लखनऊ – 226 015 (उत्तर प्रदेश)

 

इस संगठन ( CIMAP ) के बारे में विस्तार से जानने के लिए यहां क्लिक करें…

इसके अतिरिक्त अगर आप बड़े स्तर पर एलोवेरा की वाणिज्यिक खेती करना चाहते हैं एवं एलोवेरा का जूस या एलोवेरा का जेल आदि का उत्पादन के लिए इसकी खेती करना चाहते हैं तो फिर इसके लिए एलोवेरा की किसी नई किस्म के लिए भी यहाँ संपर्क किया जा सकता है।

 

एलोवेरा की खेती में सिंचाई कितनी करनी चाहिए ?

गांव का बिजनेस | aloe vera ki kheti kaise karen ( एलोवेरा की खेती कैसे करें) के अंतर्गत, हम आपको बताना चाहेंगे कि एलोवेरा की बुवाई के बाद खेत में पानी देना चाहिए। बिजाई के तुरंत बाद एक सिंचाई करनी चाहिए।  समय-समय पर सिंचाई से पत्तों में जेल की मात्रा बढ़ती है। इसलिए आवश्यकतानुसार इसकी सिंचाई करते रहना चाहिए।

इसकी सिंचाई में इस बात का ध्यान रखें जब तक सतह से लगभग दो इंच नीचे तक मिट्टी सूख न जाए तब तक पानी न दें। जब मिट्टी सूख जाए तो धीरे-धीरे परंतु गहराई तक पानी तब तक दें जब तक छोटे-छोटे छिद्रों से पानी वापिस निकलना न शुरु हो जाए। दोबारा भी तब तक पानी न दें जब तक आपको मिट्टी सूखी हुई प्रतीत न हो। सामान्य मौसम में सप्ताह में एक बार तथा सर्दियों में इससे कम पानी देना इसके लिए अच्छा रहता है।

 

एलोवेरा खेती में कितना खर्चा आता है?

देखिये, इंडियन काउंसिल फॉर एग्रीकल्चर रिसर्च (आई सी ए आर) के अनुसार एक हेक्टेयर में एलोवेरा प्लांटेशन का खर्च लगभग 27,500 रुपए आता है। जबकि, मजदूरी, खेत तैयारी, खाद आदि जोडक़र पहले साल यह खर्च 50,000 रुपए तक हो जाता है।

 

एलोवेरा की उपज कौन खरीदता है?

एलोवेरा की उपज कहाँ बेचें ?

एलोवेरा की उपज को आयुर्वेदिक दवाइयां बनाने वाली कंपनियां तथा प्रसाधन सामग्री निर्माताओं को बेचा जा सकता है।

इन पत्तों से मुसब्बर अथवा एलोवासर बनाकर भी बेचा जा सकता है।

 

एलोवेरा की प्राप्त उपज से कितनी कमाई हो सकती है ?

एलोवेरा की फसल की कीमत कितनी होती है?

एलोवेरा की एक हेक्टेयर में खेती से लगभग 40 से 45 टन मोटी पत्तियां प्राप्त होती हैं। एलोवेरा की मोटी पत्तियों की देश की विभिन्न मंडियों में कीमत लगभग 15,000 से 25,000 रुपए प्रति टन होती है। इस हिसाब से  आप आराम से 8 से 10 लाख रुपए कमा सकते हैं।

इसके अलावा दूसरे और तीसरे साल में पत्तियां 60 टन तक हो जाती हैं। जबकि, चौथे और पांचवें साल में एलोवेरा की उपज में लगभग 20 से 25% (पच्चीस परसेंट) की गिरावट आ जाती है।

एलोवेरा की खेती की देखभाल करें ?

एलोवेरा के पौधों को लगाने के बाद उसकी देखभाल भी बहुत जरूरी होती है। हालांकि एलोवेरा को ज्यादा पानी की जरुरत नहीं होती है। इसलिए ये कम पानी से भी आसानी उग जाते हैं। इसलिए इन्हे ज्यादा पानी नहीं देना चाहिए, क्योंकि अधिक पानी से इसकी जड़ें सड़ जाती है और पौधा मर जाता है।

एलोवेरा की खेती का प्रशिक्षण कहाँ से ले सकते हैं ?

गांव का बिजनेस | aloe vera ki kheti kaise karen ( एलोवेरा की खेती कैसे करें) में इस जानकारी के आधार पर, अगर आप चाहते हैं की एलोवेरा की खेती करके अच्छी पैदावार लेना चाहते हैं तो आपको इसकी ट्रेनिंग अवश्य लेनी चाहिए। आप एलोवेरा की खेती का प्रशिक्षण CIMAP से ले सकते हैं।

इसके अलावा अगर आप एलोवेरा प्रोसेसिंग यूनिट लगाना चाहते हैं तो सेंट्रल इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिसिनल एंड एरोमैटिक प्लांट्स (CIMAP) कुछ महीनों के लिए ट्रेनिंग आयोजित करता है। इसका रजिस्ट्रेशन ऑनलाइन होता है और आप इसकी निर्धारित शुल्क देकर प्रशिक्षण प्राप्त कर सकते हैं।

इसके अलावा आप अपने राज्य के कृषि सहायता केंद्र या कृषि विज्ञानं केंद्र से भी सम्पर्क कर के सहायता पा सकते हैं

 

इस प्रकार आप ट्रेनिंग लेकर एलोवेरा की खेती आसानी से कर सकते हैं एवं अच्छा लाभ प्राप्त सकते हैं।

सेंट्रल इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिसिनल एंड एरोमैटिक प्लांट्स (CIMAP) से आप इस पते पर संपर्क कर सकते हैं :-

निदेशक- सीआईएमएपी
सेंट्रल इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिसिनल एंड एरोमैटिक प्लांट्स
CIMAP पिकनिक स्पॉट रोड, कुकरैल के पास,
लखनऊ – 226 015 (उत्तर प्रदेश)

 

निष्कर्ष :-

अंत में गांव का बिजनेस | aloe vera ki kheti kaise karen ( एलोवेरा की खेती कैसे करें) के अंतर्गत, हम आपको बताना चाहेंगे कि एलोवेरा की खेती के हर तरह से फायदे ही फायदे हैं। इसकी खेती बंजर और असिंचित भूमि में बिना किसी विशेष खर्च/ व्यय के इसकी खेती लाभप्रद रूप से की जा सकती है। इसकी खेती के लिए खाद, कीटनाशक और सिंचाई की कोई खास जरूरत नहीं होती है। इसे कोई जानवर भी नहीं खाता। इसलिए इसके रख-रखाव की कोई खास जरूरत नहीं है। यह फसल हर साल अच्छी आमदनी देती है। एलोवेरा की खेती के आधार पर जूस, जैम बनाने, जेल बनाने और सूखा पाउडर बनाने के उद्योग स्थापित किए जा सकते हैं। इस प्रकार इसके सूखे पाउडर और जेल की वैश्विक बाजार में भारी मांग के कारण इसका दूसरे देशों में एक्सपोर्ट/ निर्यात भी किया जा सकता है। डाबर, पतंजलि और कई अन्य आयुर्वेदिक कंपनियां इसे खरीदती हैं।

 

इस प्रकार गांव का बिजनेस | aloe vera ki kheti kaise karen ( एलोवेरा की खेती कैसे करें) के अंतर्गत हमने जाना कि –

> एलोवेरा की खेती सिंचित और असिंचित भूमि में इसकी खेती की जा सकती है,

> बिना किसी विशेष व्यय / कम खर्च  में अच्छा लाभ कमाया जा सकता है,

> इसके अलावा एलोवेरा की खेती के लिए कीटनाशक, खाद और पानी की विशेष जरूरत नहीं होती है,

> एलोवेरा की पत्तियां जानवरों द्वारा नहीं खाई जाती हैं, इसलिए इन्हें संभालने की कोई ज्यादा जरूरत नहीं होती।

तो संक्षेप में निष्कर्ष के तौर पर एक लाइन में हम कह सकते हैं कि एलोवेरा की खेती एक वरदान है साथ में बहुत ही लाभप्रद है।

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— डॉ. हैरी भगरिया [बिज़नेस का डॉक्टर ]

मैं डॉ. एच. भगरिया (H. Bhagria) एक एंटरप्रेनर (Entrepreneur), बिज़नेसमैन, बिज़नेस कोच (Business Coach) / बिज़नेस कंसलटेंट ( Business Consultant), लेखक (an author) और फाइनेंस एडवाइजर (Finance Advisor) हूँ। मेरा मकसद उन लोगों की हेल्प करना है जो लोग बिज़नस करना चाहते हैं। ऐसे लोग जो अपना खुद का बिज़नेस स्टार्ट कर के जीवन में आगे बढ़ना चाहते हैं एवं फाइनेंसियल फ्रीडम पाना चाहते हैं लेकिन सही फैसला (decision) लेने से डरते..डिटेल में जाने/क्लिक करें ... 

 

 

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2 Comments

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